जौनपुर – बुधवार रात आठ बजे सीआरपीएफ जवान सुरेश यादव का पार्थिव शरीर घर पहुंचे तो परिजनों में मातम का माहौल हो गया। अंतिम संस्कार की रस्मों के लिए इकट्ठा हुए सैनिक भोर होने पर किसी तरह तैयारी कर रहे थे। इस दौरान परिजनों ने नाराजगी जताई। जब तक सुरेश यादव की मौत का सही कारण पता नहीं चल जाता, तब तक हम अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं देंगे। यह कहा गया है कि जो भी मरणोपरांत सुविधाएं उपलब्ध हैं, उन्हें उपलब्ध कराया जाए। सीआरपीएफ के सीओ एसपी सिंह ने काफी सोच-विचार के बाद शाम को डीआईजी से बात की। बातचीत के बाद परिजनों को लिखित आश्वासन दिया गया कि जो भी सुविधाएं उपलब्ध होंगी, मुहैया करायी जाएंगी। इसके बाद, परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार पर सहमत हुए। शव लेकर लोग शाम साढ़े छह बजे पैदल चलकर पिलिकिचा घाट पहुंचे।
सीआरपीएफ के जवान सुरेश यादव को श्रीनगर, जम्मू में 49वीं बटालियन में नियुक्त किया गया था। सोमवार की शाम गोली लगने से उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिवार को शक था कि उनकी हत्या की गई है। परिजनों ने आग्रह किया कि दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाए। वहां मौजूद लोगों में इस बात को लेकर काफी आक्रोश है कि 25 साल देश की सेवा करने वाले के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
सुरेश यादव की पत्नी मंजू देवी ने केंद्रीय पुलिस बल के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर यह जानने का अनुरोध किया कि उनके पति सुरेश यादव की मृत्यु क्यों और किन परिस्थितियों में हुई। गहन जांच होनी चाहिए। उन्होंने पत्र में लिखा है कि मेरे पति की मौत की खबर आने से ठीक पहले फोन पर बातचीत हुई थी। मेरे पति का व्यक्तित्व मजबूत था और वे खुद को प्रतिबद्ध करने की कल्पना नहीं कर सकते थे।